Friday, January 8, 2010

कौलान्तक पीठ -2





हिमालय की कठोर हठ सधानाओं से हो कर गुजरे है व लुप्तप्राय: हो चुकी टन्करी लिपि व भूतलिपि आदि का ज्ञान रखते हैं । अध्यात्म की सभी विधाओं में निपुण हैं व बाल्यावस्था से साधनारत हैं ..... हिमालय के अनेक क्षेत्रों में साधनों एवं तप क्रियाओं को संपन्न कर चुके हैं। ऐसे में आपका इस पीठ से जुड़ना मानव जीवन का गौरव है। आपके द्वारा यह पीठ पुनर्प्रतिष्ठित हो पायेगी तथा आदिकाल की तरह ही अनेक राष्ट्रों व द्वीपों के साधकों को दिव्य ज्ञान प्रदान कर पाएगी तथा वास्तविक साधनात्मक जीवन का पुनर्स्थापन हो पायेगा। कौलान्तक पीठ से जुड़ कर आपने अपना अमूल्य सहयोग इस पीठ को प्रदान किया हैं। अतः पीट पूरण निष्ठां से आपको आध्यात्मिक व भौतिक उन्नति के मध्यमो से अवगत करवाएगा। कौलान्तक पीठ का कार्य किसी प्रदेश अथवा देश का कार्य न हो कर एक वैश्विक कार्य है। अतः आप गणमान्य सदस्यों की राय अपेक्षित है। कौलान्तक पीठ का कार्य पूरी तरह पारदर्शी व धर्मनिष्ट है। कौलान्तक पीठ के इस वैश्विक महा यज्ञ में आपका सहयोग एह आहुति की तरह अमूल्य व गौरवमयी रहेगा। अतः सभी दिव्य पथ के साधकों से अनुरोध है की वे कौलान्तक पीठ की स्थापना में अपना सहयोग दें ..........और हिमालय के दिव्य ज्ञान से स्वयं जुड़ें तथा विश्व को जोड़ें।
कौलान्तक पीठ
हिमालय,कुल्लू-मनाली
हिमाचल प्रदेश, भारत
संपर्क : ०९४१८१ ३६१५६

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